नई दिल्ली। अभिषेक बनर्जी की नई फिल्म स्टोलन ने अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज होते ही तहलका मचा दिया है। इस फिल्म की दमदार कहानी, शानदार एक्टिंग और सामाजिक संदेश ने दर्शकों का ध्यान खींचा है। लेकिन क्या यह फिल्म किसी सच्ची घटना से प्रेरित है?

जी हां, स्टोलन 2018 में असम में हुई एक दिल दहलाने वाली घटना पर आधारित है। आइए जानते हैं इस फिल्म और इसके पीछे की सच्ची कहानी की पूरी जानकारी।

सच्ची घटना से प्रेरित है ‘स्टोलन’

स्टोलन 2018 में असम के करबी अंगलोंग जिले में हुई एक दुखद लिंचिंग की घटना से प्रेरित है। इस घटने में नीलोत्पल दास और अभिजीत नाथ, जो करबी अंगलोंग से गुजर रहे थे, को गलत तरीके से बच्चा चोर समझ लिया गया। एक वायरल व्हाट्सएप मैसेज ने गांव वालों में बच्चा चोरी की अफवाह फैलाई, जिसके चलते डर और गुस्से में लोगों ने दोनों को गाड़ी से खींचकर लाठी-डंडों और पत्थरों से मार डाला था।

निर्देशक करण तेजपाल ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह घटना उन्हें लंबे समय तक परेशान करती रही। इसके बाद उन्होंने इस मामले की गहरी छानबीन की और स्टोलन बनाने का फैसला किया।

फिल्म की कहानी और किरदार

स्टोलन की कहानी एक रेलवे स्टेशन पर शुरू होती है, जहां झुम्पा (मिया मेल्जर) की पांच महीने की बच्ची चंपा चोरी हो जाती है। दो भाई, गौतम (अभिषेक बनर्जी) और रमन (शुभम वर्धन), इस मामले में फंस जाते हैं। रमन, जो एक संवेदनशील इंसान है, झुम्पा की मदद करने का फैसला करता है, जबकि गौतम शुरू में इसे ‘पचड़ा’ मानकर टालना चाहता है। 

लेकिन जब एक वायरल वीडियो में दोनों भाइयों को ‘बच्चा चोर’ ठहराया जाता है, तो उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है। कहानी ग्रामीण भारत में सामाजिक भेदभाव, अफवाहों और भीड़ हिंसा को दर्शाती है।

दमदार डेब्यू और तारीफें

स्टोलन करण तेजपाल की पहली फिल्म है, जिसे गौरव ढींगरा ने प्रोड्यूस किया है। अनुराग कश्यप, किरण राव, निखिल आडवाणी और विक्रमादित्य मोटवाने जैसे दिग्गजों ने इसे सपोर्ट किया है। फिल्म में अभिषेक बनर्जी, मिया मेल्जर, शुभम वर्धन, हरीश खन्ना और साहिदुर रहमान ने शानदार एक्टिंग की है। इसने 2023 में वेनिस फिल्म फेस्टिवल में भारत का प्रतिनिधित्व किया और जापान के स्किप सिटी इंटरनेशनल डी-सिनेमा फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म और बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड जीता।

कब और कहां देखें मूवी?

स्टोलन 4 जून 2025 से अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है। यह 90 मिनट की थ्रिलर फिल्म दर्शकों को सामाजिक मुद्दों पर सोचने पर मजबूर करती है। अभिषेक बनर्जी की दमदार परफॉर्मेंस और करण तेजपाल का बारीक निर्देशन इसे जरूर देखने लायक बनाते हैं।