नागौर एसपी नारायण टोगस को घोड़ी पर बैठाकर दी गई विदाई, वीडियो वायरल

राजस्थान में पिछले दिनों आईपीएस अधिकारियों के तबादलों के बाद कुछ जिलों के एसपी के विदाई समारोह सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा में हैं. सोशल मीडिया पर एसपी के विदाई समारोह के वीडियो और रील पुलिस महकमे के गलियारों में भी काफी चर्चा में है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इसे जिले के एसपी का शक्ति प्रदर्शन बता रहे हैं तो कई आईपीएस अधिकारियों ने इसे खाकी वर्दी की छवि को धूमिल करने की कोशिश बताई है.
आपको बता दें कि भरतपुर एसपी मृदुल कच्छावा, नागौर एसपी नारायण टोगस, झालावाड़ एसपी रिचा तोमर और धौलपुर एसपी सुमित मेहरड़ा के विदाई के वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं. वही नागौर में तो एसपी नारायण टोगस ने तो हद ही कर दी और जिले में लगी धारा 163 की निषेधाज्ञा के बावजूद विदाई का जुलूस निकाल दिया. अब जब जिले का एसपी ही कलेक्टर के आदेश को दरकिनार करते हुए अपनी हनक में कानून तोड़े तो कोई कहां जाए.
वरिष्ठ अधिवक्ता ए के जैन ने क्या कहा?
वरिष्ठ अधिवक्ता ए के जैन ने कहा कि एसपी पूरे जिले की कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार होता है. आईपीएस ऑफिसर पर ऑल इंडिया सर्विस रूल लागू होते हैं. इसमें साफ लिखा हुआ है कि कोई भी अधिकारी किसी भी जातिवादी संगठन के कार्यक्रम में भाग नहीं लेगा. इसके अलावा किसी भी प्राइवेट व्यक्ति से कोई सम्मान या गिफ्ट प्राप्त नहीं करेगा. अगर किसी राजकार्य में गिफ्ट आता है तो उसे राजकीय कोष में जमा करना होगा.
‘DGP और सरकार को करनी चाहिए कार्रवाई’
भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अगर किसी जातिवादी संगठनों में भाग ले रहे हैं यह अपने आप में गंभीर विषय है और राज्य सरकार और डीजीपी पुलिस को इस पर कार्रवाई कठोर कार्रवाई करनी चाहिए. जैन ने कहा कि नागौर एसपी ने धारा 163 के दौरान जुलूस निकाला. वह पूरी तरीके से गलत है. इसमें बिना परमिशन के जुलूस निकाला गया और लोगों को इकट्ठा किया गया. घोड़ी पर बैठकर सवारी निकाली गई यह अपने आप में भारतीय दंड संहिता का उल्लंघन है.
इसमें धारा 188 के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. आमतौर पर देखा जाता है कि पुलिस धारा 163 का उल्लंघन करने वाले लोगों पर कार्रवाई करती है, लेकिन यहां पुलिस खुद कानून तोड़ रही है.