बम बम भोले के गूंजे जयकारें
जयपुर: महाशिवरात्रि पर छोटी काशी हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठी बुधवार अल सुबह से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने और जल अर्पित करने के लिए शिवालयों में पहुचें जयपुर के प्राचीन ताड़केश्वर महादेव मंदिर, रोजगारेश्वर महादेव मंदिर और झारखंड महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी ऐसे में सुरक्षा और व्यवस्था के लिए मंदिर प्रशासन के साथ-साथ पुलिस प्रशासन भी तैनात किया गया। आदिदेव शिव और आदिशक्ति पार्वती के विवाह के दिन महाशिवरात्रि पर छोटी काशी के तमाम शिवालियों में भक्तों का सैलाब उमड़ा। श्रद्धालुओं में अपने भगवान के दर्शन कर जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और फल-फूल अर्पित करने की होड़ देखने को मिली. छोटे-बड़े सभी शिवालयों में भक्त भगवान से मनोकामना मांगने के लिए सुबह से ही कतारबद्ध अपनी बारी का इंतजार करते दिखे। जयपुर की बसावट से पहले स्थापित ताड़केश्वर महादेव मंदिर में तड़के 4 बजे से श्रद्धालु हाथ में गंगासागर और फल-फूल प्रसाद की थाली सजाकर भगवान का शृंगार करने पहुंचे.जलाभिषेक कर भोलेनाथ को ऋतु पुष्प, धतूरा, गाजर, मोगरी, बेर, शमी पत्र, बेलपत्र अर्पित किए और मनोकामना मांगी. इस दौरान पुलिस प्रशासन और मंदिर प्रशासन की ओर से भक्तों के मंदिर में प्रवेश करने के लिए बड़ी चौपड़ से ही बैरिकेडिंग की गई. वहीं, किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए 100 से ज्यादा पुलिस के जवानों ने सुरक्षा की कमान संभाली। मंदिर महंत परिवार के पं. मनीष व्यास ने बताया कि ताड़केश्वर महादेव मंदिर जयपुर का ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है. यहां स्वयंभू शिवलिंग हैं और ये मंदिर जयपुर की बसावट से पहले से स्थापित है. आज यहां व्यास परिवार की आठवीं पीढ़ी सेवा पूजा कर रही है. आमेर राज्य के समय इस स्थान पर ढूंढाड़ गांव बसा हुआ था और जिस जगह वर्तमान में मंदिर स्थापित है, वहां ताड़ के वृक्षों का जंगल हुआ करता था. यहां श्मशान की भूमि पर एक गाय नियमित एक ही स्थान पर दूध छोड़ा करती थी. इस स्थान पर जब खुदाई की गई तो यहां भगवान शिव का विग्रह मिला और फिर महाराजा सवाई जयसिंह ने यहां मंदिर का निर्माण कराया और इसकी जिम्मेदारी आमेर के ही पुजारी व्यास परिवार को दी गई।