राजस्थान में बाबा रामदेव का दौरा: इटावा विवाद पर टिप्पणी, 'ब्राह्मण-यादव के बीच कोई भेद नहीं, सब एक समान'
खैरथल। कोटकासिम क्षेत्र के लाडपुर गांव में बाबा सोमनाथ आश्रम में रविवार को बाबा सोमनाथ महाराज की 25वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस दौरान 108 कुंडीय रुद्र गुरु गोरखनाथ महायज्ञ किया गया, जिसमें 108 विवाहित जोड़ों ने एकसाथ आहुति दी। महायज्ञ में करीब 1100 श्रद्धालु शामिल हुए। कार्यक्रम में योग गुरु बाबा रामदेव व तिजारा विधायक महंत बाबा बालकनाथ भी शामिल हुए और यज्ञ में पूर्णाहुति दी।
बाबा रामदेव को सुबह 12 बजे हेलीकॉप्टर से लाडपुर पहुंचना था, लेकिन बारिश के कारण वे शाम चार बजे यहां पहुंचे। इटावा में यादव समाज के एक व्यक्ति द्वारा भगवत गीता की कथा कहने पर उसकी चोटी काटने की घटना का जिक्र करते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि सनातन धर्म को एक बताने वाले लोग उल्टे कार्य कर रहे हैं। यदि यदुवंशी ही भगवान कृष्ण की कथा नहीं करेंगे तो कौन करेगा। उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा और एकता पर जोर दिया।
चोटी काटने के बाद शुरू हुआ विवाद
बता दें कि उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के ददरपुर गांव में कथावाचक मुकेश मणि यादव पर कथित रूप से ब्राह्मण न होने के कारण मारपीट और बाल काटने की घटना ने जातीय तनाव को जन्म दिया। यादव समुदाय ने इसे अपमान मानते हुए प्रदर्शन किए, जिसमें पथराव और सड़क जाम जैसी घटनाएं हुईं।
कथा वाचक पर लगे आरोप
पुलिस ने मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है, जहां समाजवादी पार्टी ने भाजपा पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाया। घटना ने सामाजिक सहिष्णुता और राजनीतिक रणनीति दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मामले में जांच जारी है। कथावाचक के ऊपर फर्जी आधार कार्ड और जाति छुपाने का भी आरोप लगा है।
कौन हैं बाबा खेतानाथ
महंत बाबा दीपक नाथ ने बताया कि 10 बीघा में फैला यह आश्रम अवधूत योगी बाबा खेतानाथ महाराज की तपोभूमि है, जिनकी स्मृति में एक पावन छतरी बनाई गई है। बाबा सोमनाथ का जन्म हरियाणा के चरखी दादरी में हुआ था। उन्होंने युवावस्था में संन्यास लिया और 1959 में लाडपुर पहुंचकर 12 वर्ष तक एक पैर पर खड़े रहकर तपस्या की।
बाबा खेतानाथ साल 1998 में हुए थे ब्रह्मलीन
बाबा खेतानाथ से दीक्षा लेकर वे बाबा सोमनाथ कहलाए। 22 दिसंबर 1998 को वे ब्रह्मलीन हुए। 30 जून 2001 को तत्कालीन सांसद महंत चांदनाथ ने उनकी मूर्ति स्थापित की थी और बाबा दीपक नाथ को आश्रम का उत्तराधिकारी घोषित किया था।