परोपकार और सेवा कार्य ही ईश्वर की आराधना-राज्यपाल
जयपुर । राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने गांव पदमपुरा, बाड़ा में श्री कौशल्या चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित मेगा नेत्र चिकित्सा शिविर का अवलोकन कर वहां भर्ती मरीजों से संवाद किया और केंद्र और राज्य सरकार द्वारा गरीब, पिछड़ों के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने इस दौरान कहा कि परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म है। चिकित्सा से जुड़ा सेवा कार्य ही ईश्वर की आराधना है। उन्होंने वहां पर नेत्र चिकित्सा से लाभान्वित काश्तकारों, श्रमिकों की बेहतर और नि:शुल्क चिकित्सा व्यवस्था की सराहना की।
नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के समापन समारोह में उन्होंने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की आरोग्य समृद्धि योजनाओं के बारे में भी विशेष रूप से बताया तथा कहा कि किसानों, मजदूरों के कल्याण के लिए चलाए जा रहे विकास कार्यों का जनहित में अधिकाधिक प्रसार होना चाहिए ताकि योजनाओं का समुचित लोगों तक लाभ पहुंच सके। उन्होंने कहा कि पर—पीड़ा निवारण के लिए किए जाने वाले कार्य जन—जन तक पहुंचते हैं तभी उनकी सार्थकता होती है।राज्यपाल ने निजी ट्रस्ट द्वारा नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा और दवाओं, चश्मों, लेंस और अन्य उपकरणों के वितरण को अनुकरणीय बताया। उन्होंने मरीजों से संवाद करते हुए उनके हाल-चाल भी जाने। उन्होंने सरकार के साथ-साथ स्वयंसेवी संस्थाओं, निजी क्षेत्र आदि को भी चिकित्सा सेवाओं में सहयोग देने और अधिकाधिक लोगों को लाभान्वित किए जाने पर जोर दिया। आरंभ में गुलाब कौशल्या चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री नरेश कुमार मेहता ने ट्रस्ट द्वारा नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट का एक लाख ऑपरेशन नि:शुल्क करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि पदम ज्योति नेत्र चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा सेवा कार्य के अंतर्गत पिछड़े वर्ग के बालकों को शिक्षा—छात्रवृति, पुस्तकें आदि भी उपलब्ध कराए जाते हैं।